पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ के सुर इन दिनों काफी बदले-बदले से लग रहे हैं। पहले उन्होंने जरदारी सरकार में बढ़ते भ्रष्टाचार को लेकर टिप्पणी करते हुए अमेरिकी सरकार का ध्यान अपनी ओर खींचने का प्रयास किया और फिर कश्मीर से अमन छीनने वाले आतंकवादियों को पाकिस्तान में प्रशिक्षण देने का ऐतिहासिक बयान दे डाला।
परवेज मुशर्रफ का ये बयान देखने में जितना सीधा सपाट लगता है, उतना है नहीं। परवेज ने इस बयान के माध्यम से एक तीर से कई निशाने लगाने का प्रयास किया है।
मुशर्रफ ने पिछले दिनों एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने की जोर-शोर से घोषणा की, पर एक ही दिन में लोग उस पार्टी का नाम भी भूल गए। न तो मुशर्रफ की चुनाव में शामिल होने की घोषणा ने कोई काम किया और न ही उन्हें लेकर विदेशों में तो क्या पाकिस्तान तक की मीडिया में कोई तूफान आया।
अफगानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ जंग में पाकिस्तान की भूमिका को लेकर अमेरिका इन दिनों गाहे-बगाहे पाकिस्तान सरकार से अपनी नाराजगी जाहिर करता ही रहता है। व्हाइट हाउस की ओर से कांग्रेस को भेजी गई रिपोर्ट में भी पिछले दिनों इस बात का जिक्र किया गया है कि पाकिस्तान सरकार आतंकवाद के खिलाफ जंग में गंभीर नहीं है। ऐसे में पाकिस्तान में इस सरकार की रवानगी के संकेत बन सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो मुशर्रफ के हाथ देश की राजनीति को एक बार फिर अपने कब्जे में लेने का अवसर आ सकता है।
लेकिन इसके लिए सबसे जरूरी होगा अमेरिका की नजर में चढ़ना, मुशर्रफ ने अपने इस बयान से दुनिया को दिखाने की कोशिश की है कि पाकिस्तान को एक बार फिर पटरी पर लाने के लिए ‘वो हैं ना‘।
मुशर्रफ अपने इस बयान से भारत को भी साधने की कोशिश करते दिख रहे हैं। हालांकि उनका यह प्रयास बहुत सफल हो, इस बात में काफी शक है, लेकिन पूरी दुनिया जानती है कि भारत गिलानी और जरदारी के कारनामों से व्यथित है, ऐसे में मुशर्रफ को इससे बेहतर मौका और कोई नहीं मिल सकता था।
इन सारे उद्देश्यों से उपर मुशर्रफ ने सबसे तगड़ा निशाना चरमपंथियों पर लगाया है। पाकिस्तान में कोई भी सत्ता चरमपंथियों के रहमोकरम के बिना नहीं चल सकती। पाकिस्तान आधारित चरमपंथी इन दिनों खुले तौर पर पूरी दुनिया में हमले करने की चेतावनियां देते हुए घूम रहे हैं। इन जिहादियों को प्रशिक्षण देने का खुलासा करते हुए मुशर्रफ ने इनकी शक्ति के बारे में दुनिया को बताने की कोशिश की है कि इन संगठनों की ताकत पूरी दुनिया को एक मुद्दे पर सोचने के बारे में मजबूर कर सकती है।
कुल मिला कर मुशर्रफ ने एक सनसनीखेज बयान देकर एक तीर से कई निशाने साधे हैं। यहां गौर करने वाली बात ये भी है कि उन्होंने अपनी जबान खोलने के लिए समय का चयन भी बहुत सोच-समझ के किया है। ऐसा समय, जब कश्मीर समेत दुनिया के कई हिस्से आतंकवाद की आग में जल रहे हैं, अफगानिस्तान का अंतहीन युद्ध वहां तैनात देशों के लिए भी मुसीबत बन गया है और दुनिया का दादा अमेरिका आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने की अपनी प्रतिबद्धता में एक तरह से हार का सामना करता दिख रहा है। इन सब परिस्थितियों में पूरी दुनिया का ध्यान पाकिस्तान की ओर लगा है और मुशर्रफ ने इस स्थिति का भरपूर फायदा उठाने की कोशिश मंे ये दांव खेला है। अब देखना ये है कि मुशर्रफ की इस अवसरवादिता का भारत कितना फायदा उठा पाता है।