Friday, July 23, 2010

नौकरी चाहिए, कर लीजिये १० जनपथ से संपर्क

अगर आप बेरोजगार हैं, और पार्ट टाइम नौकरी भी खोज कर रहे हैं, तो दिल्ली में बहुत ही बढ़िया नौकरी के लिए दांव लगा सकते हैं। इस नौकरी में तो आपको कुछ करना-धरना पड ेगा और ही आपके बाद आपकी कई पीढि यों को काम का बोझ उठाना पड ेगा। इतना ही नहीं हजारों रुपये तनखवाह, दुनिया भर के भत्ते, लुटियंस जोन में सरकारी बंगला, लाल बत्ती की गाड और नौकरों की पूरी फौज आपको सलाम ठोकेगी।

और इस नौकरी की सबसे खास बात ये है कि अगर आपने अपना अब तक का जीवन किताबों में सिर खपाने में भी नहीं बिताया है, तो भी आप इसे आसानी से हासिल कर सकते हैं। यकीन नहीं आता ना, कि ऐसी कौनसी नौकरी है, तो अब मैं आपका सस्पेंस दूर कर ही देती हूं।

दिल्ली को इन दिनों जरूरत है एक अदद पार्ट टाइम यूनियन रेलवे और एग्रीकल्चर मिनिस्टर की। पर अभी से इतना प्रसन्न मत हो जाइए जनाब, भले ही दोनों नौकरियां पार्ट टाइम हैं, पर दोनों ही के लिए कुछ अनिवार्य योग्यताएं भी हैं, जिनमें ब्लैकमेलिंग, जुगाड़-तुगाड और अपनी गल्तियों का ठीकरा दूसरों के सिर फोड ने जैसे सब्जेक्ट् में एमबीए डिग्री होल्डर होना जरूरी तौर पर द्याामिल है क्योंकि अगर ये योग्यताएं आपके पास नहीं होगी, तो आए दिन जब रेल दुर्घटनाएं होंगी या महंगाई बढ ेगी तो आप उसका ठीकरा अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों पर या मानसून जैसे कारणों पर कैसे फोड पाएंगे।

आप अगर ब्लैकमेल नहीं कर पाएंगे, तो आपके मंत्रालय की किसी भी गलती पर पूरा विपक्ष आपके पीछे हाथ धोकर पड जाएगा और आपको मजबूरन इस्तीफा देना ही पड ेगा, लेकिन अगर आपने ब्लैकमेलिंग में पीएचडी की हुई है, तो विपक्ष क्या आप पर तो खुद प्रधानमंत्री भी नजर टेढ नहीं कर पाएंगे क्योंकि उन्हें भी पता होगा कि उनकी जरा सी नजर टेढ हुई नहीं और आपने फौरन उनकी सरकार के नीचे लगाया अपना समर्थन रूपी हाथ हटा लिया।

इतना ही नहीं आपको जनता को मूर्ख साबित करने की कला और बेहयाई भी आनी चाहिए क्योंकि आपकी ये कला तब काम आएगी, जब किसी व्यस्त रेलवे स्टेद्गान पर भगदड़-वगदड मच जाए, कुछ लोग मर जाएं और उसका पूरा दोच्च आप पर लगा दिया जाए। आपमें ये हुनर होगा, तो आप फौरन कह तो पाएंगे कि जनता ही बेवकूफ थी, जो एक ही प्लेटफॉर्म के दूसरे छोर पर ट्ेन आने वाली थी, फिर भी पुल की तरफ भागने लगी।

जैसा कि मैंने पहले कहा, दोनों ही नौकरियां पार्ट टाइम हैं, इसलिए आपको अपने मेन काम के अलावा कोई और रुचि भी होनी चाहिए, मसलन किसी खेल में मन लगाना और इस सिलसिले में दुनिया भर की यात्रा-वात्रा करना।

यकीन मानिए ये गुण आपको कई आपातकालीन स्थितियों से बचा लेगा। मान लीजिए आप एग्रिकल्चर मिनिस्टर बन गए और आम आदमी हर चीज के दाम बढ़ने पर चिल्लाने लगा, हड ताल करने लगा और सरकार भी आप पर दिखाने के लिए ही सही, पर थोड -बहुत दबाव बनाने लगी, तो आप फौरन उस खेल में कोई बड आयोजन करके उस बीच कोई राच्च्ट्ीय महत्व का फालतू तमाद्गाा तो करवा सकेंगे, और एक बार ये तमाद्गाा मुद्दा बन जाए, बस फिर देखिए पूरे भारत का ध्यान महंगाई जैसे फालतू मुद्दों से कितनी जल्दी हटता है।

आपको अपनी ही कही बात से पलटना भी थोड -बहुत आना चाहिए। ये गुण भी कहीं-कहीं आपको बचा ही लेगा। मान लीजिए आपने लोगों से कहा कि तीन महीने में जरूरी चीजों के दाम कम हो जाएंगे और तीन महीने बाद भी कुछ नहीं हुआ, तो आपको अपनी ही बात से पलटते हुए तीन महीने को तीन साल में तो बदलना ही होगा ना, वैसे भी तीन साल के बाद तो सब लोग आपकी बात को भूल ही जाएंगे।

तो अगर आपको लगता है कि आपमें ये सारे गुण है, तो देर मत कीजिए, फौरन संपर्क कीजिए, १०, जनपथ से। जल्दी कीजिएगा, बेरोजगारी से जूझ रहे भारत में ऐसी नौकरियां रोज-रोज नहीं मिलतीं।

2 comments:

  1. अच्छा व्यंग्य है।
    दीदी और दादा इसे पढ़ पाएं तब तो मज़ा है।
    शुभकामनाएं।

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